नई दिल्ली: बसपा के पूर्व महासचिव और पडरौना से विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। समर्थकों के साथ मौर्य नईं दिल्ली में 11 अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्यालय पर अध्य्क्ष अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुए। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष और फूलपुर से सांसद केशव प्रसाद मौर्या भी मौजूद थे।
गौरतलब है की स्वामी प्रसाद ने कुछ दिनों पूर्व ही बसपा छोड़ी है। उन्होंने बसपा छोड़ते हुए पार्टी सुप्रीमो मायावती पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया था। मौर्या ने बसपा छोड़ने के बाद लोकतान्त्रिक बहुजन मंच का गठन किया है।
आप को बता दें की ये वही स्वामी प्रसाद मौर्या हैं जिन्होंने 6 महीने पूर्व केन्द्र सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा था की केंद्र में दंगे वाली सरकार है।
5 अगस्त को गोरखपुर में एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने मायावती पर जम कर निशाना साधा था।
मौर्या ने कहा था कि हमें क्या निर्णय लेना है वक्त आने पर इसको हम बताएंगे। यहां इकट्ठा कार्यकर्ताओं में जो गुस्सा दिख रहा है। उसको लेकर के पूछे गए सवाल पर मौर्य ने कहा मेरे इस्तीफ़ा देने के बाद ही बहुजन समाज पार्टी तीसरे पायदान पर चली गई। आज के प्रत्याशियों की लड़ाई में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की है।
बहुजन समाज पार्टी से निकले जाने के बाद उनकी नाराजगी का ये आलम था कि एकबार जो उन्होंने बोलना शुरू किया तो अंत तक बोलते रहे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि जब पैसे का बाजार चलेगा टिकटों की नीलामी होगी, पैसे की बिना पर टिकट दिए जायेंगे, स्वाभाविक रूप से बड़े बड़े गुन्डे, माफिया, अपराधी, थैली शाह और साथ ही साथ बड़े बड़े थैली वाले टिकट लेने में कामयाब होंगे। लेकिन आम कार्यकर्ता अपने आप बहुजन समाजवादी पार्टी से बाहर हो जाएगा ।
उन्होंने कहा था पार्टी के मुख्य धारा में अपराधी नजर आयेंगे और ये सब पैसे के हवस के चलते सब कुछ हो रहा है । 2017 के विधान सभा चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी का सुपडा साफ़ हो जाएगा, और अगर मायावती जी अपनी आदत में सुधार नहीं लाती है, तो उतर प्रदेश की राजनीती से इनका बोरिया बिस्तर बध जाएगा और इनको राजनीती से पैदल करके ही मै दम लूंगा तब तक मै चैन से नहीं बैठूंगा।
मौर्य का पूर्वांचल के मंडलो में खासा प्रभाव है। स्वामी प्रसाद मौर्या का सबसे अधिक प्रभाव गोरखपुर, आजमगढ़, बस्ती मण्डल और वाराणसी मण्डल में है। माना जा रहा है कि इन मंडलो में बसपा के कई नेता अब स्वामी के साथ भाजपा का दामन थम सकतें हैं। दरअसल, पूर्वांचल में कोईरी मतदाताओं की संख्या अच्छी है।
पूर्वांचल की कम से कम तीन दर्जन सीट ऐसी हैं, जहां कोईरी मतदाता प्रभावी भूमिका में हैं। इन सीटों पर बसपा का परफारमेंस भी पिछले 2012 के चुनाव में अच्छा था। वाराणसी की बात करें तो यहां की तीन विधानसभा सीट पर मौर्य, कुशवाहा समेत इस तबके से जुड़े अन्य जाति के मतदाता 15 से 30 प्रतिशत के बीच हैं।




